क्या है थैलेसीमिया?
थैलेसीमिया एक जेनेटिक डिसऑर्डर के तौर पर माना जाता है, यानि ये बीमारी एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में होने का खतरा बहुत अधिक होता है. इस बीमारी में बॉडी में हीमोग्लोबिन बनना बंद हो जाता है. हीमोग्लोबिन रेड ब्लड सेल्स में प्रोटीन अणु के रूप में बॉडी में ऑक्सीजन सप्लाई करने का काम करता है. मगर थैलेसीमिया में आरबीसी तेजी से नष्ट होने लगती हैं. इससे मरीज एनिमिक होने लगता है.
बचपन में हो जाती बीमारी की जानकारी
यदि माता या पिता दोनों ही सिंगल जीन माइनर रहें तो उन्हें ये बीमारी नहीं होती है. इसे बीटा थैलेसीमिया कहा जाता है. मगर माता-पिता दोनों के माइनर जीन ही बच्चे में आ जाये तो ये कंडीशन थैलसीमिया मेजर की होती है. इसी में ब्लड बनना बंद हो जाता है. जन्म के 6 महीने में पता चल जाता है कि बच्चे की बॉडी में हीमोग्लोबिन नहीं बन पा रहा है. उसे 3 से 6 महीने में ब्लड चढ़ाने की जररूत होती है. ब्लड न चढ़ाने की स्थिति में बच्चे के बचने की संभावना बहुत अधिक कम हो जाती है. उन्हें रेग्युलर ब्लड चढ़ाने की जरूरत पड़ती है.
और क्यों हो जाती है खून की कमी?
खून की कमी का कारण केवल थैलेसीमिया ही नहीं है. अन्य वजह से भी ब्लड कम बन सकता है. पोषक तत्वों की कमी, ब्लड लॉस होने पर खून की कमी हो सकती है. महिलाओं में पीरियड्स ब्लड की कमी के बड़े कारण होते हैं. बच्चे भी पोषक तत्व नहीं ले पाते हैं, इसी कारण उनमें भी ब्लड कम हो सकता है. विटामिन बी12, फोलिक एसिड भी ब्लड कम होने का प्रमुख कारण है.
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