Beta Blockers: दिल की धड़कनों का कम या ज्यादा हो जाना, हार्ट की बुरी हेल्थ की तरफ इशारा करता है. बीपी से लेकर हाई कॉलेस्ट्रोल भी हार्ट के लिए खतरा होता है. ऐसे में बीटा ब्लॉकर्स लाइफलाइन की तरह काम करती हैं. ये क्या हैं और कैसे जान बचाती हैं यहां जानें…

क्या हैं बीटा ब्लॉकर्स?

बीटा ब्लॉकर्स उन दवाओं को कहा जाता है, जो हाई ब्लड प्रेशर को सामान्य करने का काम करती हैं. इन्हें हाई बीपी के मरीज को दिया जाता है. ताकि ये दवाएं हार्ट की सुरक्षा करें और हार्ट पर एक्स्ट्रा प्रेशर ना पड़ने दें. 

कब-कब ली जाती हैं बीटा ब्लॉकर्स?

  • ब्लड प्रेशर की समस्या के अलावा बीटा ब्लॉकर्स हार्ट से जुड़ी और भी कई समस्याओं में ली जाती हैं. डॉक्टर्स हार्ट रिद्म डिसऑर्डर से जूझने वाले व्यक्ति को भी ये दवाएं देते हैं.
  • एंजाइना की समस्या में ये दवाई दी जाती है
  • हार्ट फेलियर की स्थिति में इलाज के दौरान बीटा ब्लॉकर्स का यूज किया जाता है.
  • ग्लूकोमा के इलाज में स्थिति के अनुसार इन दवाओं का यूज हो सकता है.
  • एंग्जाइटी के इलाज में भी कई बार बीटा ब्लॉकर्स की जरूरत पड़ जाती है.
  • मरीज की स्थिति के अनुसार, माइग्रेन की समस्या में भी बीटा ब्लॉकर्स मरीज को दी जा सकती है.
  • कुल मिलाकर देखा जाए तो ऐसी किसी भी बीमारी में, जो हार्ट पर दवाब क्रिऐट होने की वजह बन सकती है, उसमें बीटा ब्लॉकर्स दवाओं का यूज सुझाव जाता है.

क्या काम करती हैं बीटा ब्लॉकर्स?

  • हार्ट की पंप करने की क्षमता में सुधार करती हैं
  • हार्ट रेट को स्लो करने का काम करती हैं
  • हार्ट को रिलैक्स करने में मदद करती हैं

कैसे काम करती हैं बीटा ब्लॉकर्स?

  • बीटा ब्लॉकर्स दवाओं में एक खास केमिकल होता है, जो ब्लॉकिंग एजेंट के रूप में काम करता है और शरीर के खास हिस्सों में एड्रेनलिन और नॉरएड्रेनालाइन स्ट्रेस हॉर्मोन को रिलीज होने से रोकता है. 
  • ये स्ट्रेस हॉर्मोन्स दिल की सेहत को सबसे अधिक नुकसान पहुंचाते हैं. क्योंकि इन स्ट्रेस हॉर्मोन्स की मात्रा बढ़ने से हार्ट बीट काफी तेज हो जाती है क्योंकि हार्ट पर ब्लड को अधिक मात्रा में पंप करने का दबाव बढ़ने लगता है.
  • लेकिन बीटा ब्लॉकर्स के जब इन हॉर्मोन्स के सीक्रेशन को कम कर देती हैं तो दिल की धड़कने सामान्य हो जाती हैं और हार्ट पर प्रेशर पड़ना बंद हो जाता है.
  • इसके अलावा बीटा ब्लॉकर्स किडनी में एंजियोटेंसिन नामक हॉर्मोन के सीक्रेशन को भी बंद कर देती हैं, जिससे ब्लड प्रेशर तुरंत कंट्रोल हो जाता है और हार्ट बीट नॉर्मल हो जाती है. 

किन बातों का रखें ध्यान?

मामला सिर्फ सेहत से नहीं जुड़ा है बल्कि हार्ट की सेहत से जुड़ा है इसलिए ये बात साफ है कि इन दवाओं का सेवन अपनी मर्जी से शुरू भी नहीं करना चाहिए और यदि डॉक्टर ने आपको ये दवाएं दी हैं तो बिना डॉक्टर की सलाह के इन्हें बंद भी नहीं करना चाहिए. इन दवाओं की डोज और इन्हें लेने के तरीके में की गई लापरवाही जानलेवा हो सकती है.

 

Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीकों और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.

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