Diabetes: क्या ब्रश करने से डायबिटीज का रिस्क कम होता है? आपको सुनने में भले ही अजीब लगे लेकिन हाल ही में आई एक रिसर्च में हैरान करने वाली बात पता चली है. इस रिसर्च के मुताबिक, दिन में कम से कम तीन बार ब्रश करने से टाइप 2 डायबिटीज (Diabetes) का खतरा कम होता है. रिसर्च से यह भी पता चला है कि मेटाबॉलिक डिसऑर्डर ओरल हेल्थ को प्रभावित करता है. हालांकि, डेंटल प्रॉब्लम और डायबिटीज के बीच कितना संबंध है, इसको लेकर और भी रिसर्च की जरूरत है. आइए जानते हैं डेंटल समस्याएं और डायबिटीज के बीच का संबंध..
क्या है डेंटल प्रॉब्लम और डायबिटीज के बीच संबंध
दरअसल, मसूड़ों में जो बीमारी होती है, उसे मेडिकल टर्म में पीरियंडोंटाइटिस कहा जाता है. मसूड़ों और हड्डियों के बैक्टीरियल इंफेक्शन की वजह से यह बीमारी होती है. अगर समय रहते इसका इलाज न करवाया जाए तो यह दांतों की तकलीफ को बढ़ा सकता है. ऐसे लोग जिनमें मसूढ़ों की बीमारी होती है, उनके ब्लड में इंफ्लामेटरी मार्कर का लेवल ज्यादा पाया जाता है. यह इंसुलिन संवेदनशीलता को कम कर ब्लड में शुगर लेवल को बढ़ा सकता है.
क्या ओरल समस्याओं से हो सकती है डायबिटीज
हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक, इस पर कुछ कहने से पहले अभी और ज्यादा रिसर्च की आवश्यकता है. हालांकि क्या ओरल समस्याओं की वजह से डायबिटीज की समस्या हो सकती है, इसको लेकर कुछ रिसर्च में पता चला है कि मसूड़ों से जुड़ी बीमारी होने पर डायबिटीज का रिस्क ज्यादा रहता है. रिसर्च में ये बातें भी पता चली हैं कि ऐसे लोग जिन्हें डायबिटीज है, उनमें डेंटल समस्याएं होने का जोखिम भी ज्यादा रहता है.
डायबिटीज से डेंटल समस्याएं क्यों
रिसर्च के मुताबिक, डायबिटीज मुंह में सलाइवरी ग्लैंड्स को इफेक्ट कर सकता है. इसकी वजह से कम सैलिवा आने लगता है. यह एक ऐसा पदार्थ है, जिसकी वजह से दांतों में सड़न नहीं हो पाता है और बैक्टीरिया भी नहीं पनपता है. यही वजह है कि लार में हाई ग्लूकोज लेवल का असर डेंटल हेल्थ पर भी दिखता है.
Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.
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