Ramadan 2023: इस्लामिक कैलेंडर का पाक और मुकद्दस महीना रमजान चल रहा है. रमजान के महीने में हर पुरुष और महिला का रोजा रखना अनिवार्य होता है. रोजा इस्लाम के पांच स्तंभों में एक है.12 साल से अधिक बालिग मुसलमान के लिए इस्लाम में रोजा रखना जरूरी माना गया है. 

इस साल रमजान का महीना 24 मार्च 2023 से शुरू हो चुका है और इसके बाद से ही रोजेदार रोजा रख रहे हैं. रमजान में पूरे 29 से 30 दिनों का रोजा रखा जाता है. मान्यता है कि, रमजान में रोजा रखने, अल्लाह की इबादत करने, धार्मिक ग्रंथों का पाठ करने और नेक काम करने से सवाब मिलता है. वैसे तो रमजान के पूरे महीने रोजा रखना जरूरी माना गया है. लेकिन अगर किसी कारण कोई रोजा छूट जाए तो इसकी दंड भी अदा करनी पड़ती है. यानी रोजा छूटने पर उसकी कजा और कफ्फारा अदा करनी होती है. आइये जानते हैं रमजान में रोजा छूटने पर कैसे अदा करें कजा और कफ्फारा.

रोजे की कजा क्या है?

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अगर आप यात्रा कर रहे हैं, शारीरिक रूप से अस्वस्थ हैं, महिलाओं की माहवारी चल रही है आदि जैसी स्थिति में रोजा न रखने की छूट मिली है. लेकिन इन दिनों में रोजा छूट जाने पर इसके बदले में दूसरे दिन रोजा रखकर इसे पूरा करना पडता है. यानी एक फर्ज रोजे के बदले में एक रोजा रखना पड़ता है.

कब जरूरी है कजा और कब नहीं

  • अगर रोजा रखने की कुव्वत यानी स्थिति में नहीं है तो इसके बदले आप किसी गरीब को खाना खिला सकते हैं.
  • अगर किसी शख्स का रोजा छूट जाता है और इसे पूरे करने से पहले उसकी मृत्यु हो जाती है और ऐसे में रोजा की कजा अदा करना जरूरी नहीं होता है.
  • किसी शख्स के मन्नत के रोजे हों और बीच में ही उसकी मृत्यु हो जाए तो उसके वारिस को कजा अदा करना जरूरी होता है.
  • बीमारी में छूटे गए रोजे की कजा शख्स स्वस्थ होने के बाद अदा कर सकते हैं.
  • यात्रा के कारण छूटे गए रोजा को रमजान के बाद पूरा किया जा सकता है.

क्या है कफ्फारा और कैसे अदा करें

रोजा इस्लाम के पांच फर्ज में शामिल है. लेकिन रोजा फर्ज होने के साथ ही शर्त भी है. अगर किसी के शरीर में ताकत और कुव्वत देने वाली गिजा या दवा चली गई हो या कोई शख्स ने हमबिस्तरी की हो तो ऐसी स्थिति में कफ्फारा अदा करनी होती है. इसके लिए रमजान महीने के बाद बिला नागा 60 दिनों तक रोजा रखना होता है या 60 गरीबों को खाना खिलाना होता है.

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