World Hemophilia Day: 17 मार्च यानी कि आज हीमोफीलिया दिवस मनाया जा रहा है. इस दिन को मनाने का मकसद है लोगों के बीच हीमोफीलिया को लेकर जागरूकता पैदा करना. दरअसल हीमोफीलिया एक गंभीर समस्या है. वैसे तो यह बहुत कम लोगों में पाया जाता है, लेकिन जिस किसी को भी यह समस्या होती है उसके शरीर में खून के थक्के जमने की प्रक्रिया धीमी हो जाती है. शरीर के किसी अंग में चोट या कट लगने के बाद ब्लीडिंग बंद होने में वक्त लगता है. कई बार खून बहने के चलते और व्यक्ति का समय पर इलाज ना होने पर उसकी मृत्यु हो जाती है. ये रोग महिलाओं की तुलना में पुरुषों में ज्यादा देखा जाता है. भारत में जन्में प्रत्येक 5000 पुरुषों में से एक पुरुष हीमोफीलिया से ग्रस्त हैं. यानी कि हमारे देश में हर साल लगभग 1300 बच्चे हीमोफीलिया के साथ जन्म लेते हैं. आइए जानते हैं हीमोफीलिया के बारे में सब कुछ विस्तार से…

क्या है हीमोफीलिया?

हीमोफीलिया एक प्रकार का ब्लीडिंग डिसऑर्डर है. यह बीमारी खून में थ्रंबोप्लास्टिक नामक पदार्थ की कमी से होता है. थ्रंबोप्लास्टिक एक ऐसा पदार्थ है जो खून को तुरंत थक्के में बदलने की क्षमता रखता है. यह एक तरह का जेनेटिक रोग है, इस समस्या में शरीर के बाहर बहता हुआ रक्त जमता नहीं है और यह जानलेवा साबित होती है. इस रोग से पीड़ित लोगों में क्लोटिंग फैक्टर यानी कि खून के थक्के बनना बंद हो जाते हैं, जबकि सामान्य लोगों में जब चोट लगती है तो खून के थक्के बनने के लिए जरूरी घटक खून में मौजूद प्लेटलेट से  मिलकर गाढ़ा कर देते हैं, इस तरह खून अपने आप बहना बंद हो जाता है. लेकिन जो लोग हीमोफीलिया से पीड़ित होते हैं उनमें थक्के बनने वाला घटक बहुत कम होता है या तो होता ही नहीं है इसलिए उनका खून ज्यादा समय तक बहता रहता है.

हीमोफीलिया के लक्षण

  • इंजेक्शन लेने के बाद खून निकलते रहना
  • त्वचा के नीचे ब्लीडिंग होना
  • बार बार नाक से खून बहना
  • मुंह में मसूड़ों से खून बहना
  • बच्चों की डिलीवरी के बाद सिर में खून दिखाई देना
  • मल पेशाब या उल्टी में खून देखना
  • चोट लगने पर ब्लीडिंग का बंद ना होना

हीमोफीलिया के प्रकार

हीमोफीलिया रोग सामान्य तौर पर दो तरह के होते हैं.

हीमोफीलिया ए-ये इसका सामान्य प्रकार है. इसमें रोगी के रक्त में थक्के बनने के लिए आवश्यक फैक्टर 8 की कमी हो जाती है.हीमोफीलिया ए करीब 5000 में से एक व्यक्ति को होता है.

हीमोफीलिया बी- हीमोफीलिया भी कम सामान्य रोग है. इसमें थक्के बनने के लिए फैक्टर सेक्टर 9 की कमी हो जाती है. इसे क्रिसमस रोग भी कहा जाता है. हीमोफीलिया बी करीब 20,000 में से एक व्यक्ति को होता है.

क्या है हीमोफीलिया का इलाज 

हीमोफीलिया के इलाज के लिए अनउपस्थित क्लोटिंग फैक्टर को रिप्लेस करना सबसे बेहतर तरीका माना जाता है. इस तरीके की मदद से खून का थक्का बनने की प्रक्रिया को सामान्य करने में मदद मिलती है. इस प्रक्रिया के तहत आर्टिफिशियल तरीके से तैयार किए गए क्लोटिंग फैक्टर को इंजेक्शन के जरिए मरीज की नसों में छोड़ा जाता है.

Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.

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