UP Assembly Monsoon Session 2023: विधानसभा में अब तक ‘मौन’ रहे माननीयों को इस बार बोलने का मौका मिलेगा. बता दें कि उत्तर प्रदेश विधानसभा के मॉनसून सत्र की आज (सोमवार) से शुरुआत हो गई है. मौजूदा विधानसभा में 39 विधायक नहीं बोल सके थे. 39 में से ज्यादातर विधायकों ने चर्चा में भाग लेने की खुद से पहल नहीं की. विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने तय किया है कि अभी तक सदन में चर्चा का हिस्सा नहीं बनने वाले सभी 39 विधायकों को बोलने दिया जाएगा. 39 विधायकों में 23 बीजेपी के, 15 सपा के और 1 अपना दल (एस) के हैं. 18वीं विधानसभा के अब तक चार सत्रों की कुल 26 बैठकों में 39 विधायकों ने किसी भी मुद्दे पर राय नहीं रखी है. उन्होंने सदन में सवाल नहीं पूछे और क्षेत्र की स्थानीय समस्या से भी सदन को अवगत नहीं कराया.
‘मौन’ माननीयों को सदन में बोलने का मिलेगा मौका
दिलचस्प बात है कि सभी 39 विधायक सदन में हाजिर होते हैं और बैठकों में हिस्सा भी लेते हैं. लेकिन अभी तक सदन में बोल नहीं सके हैं. सदन में नहीं बोलने के पीछे माननीयों का एक कारण संकोच माना जा रहा है. ऐसे में मौन विधायकों को अलग से मौका देने की विधानसभा अध्यक्ष ने तैयारी की है. पहली बार विधायक के तौर पर चुने गए पेशे से डॉक्टर असीम कुमार हैं. चार बार से सदन का हिस्सा रहे विधायक शाहिद मंजूर भी हैं. कई बार सांसद रह चुके समाजवादी पार्टी के विधायक रमाकांत यादव भी अब तक चुप हैं.
लिस्ट में पहली बार चुने गए 13 विधायकों के हैं नाम
लखनऊ की एक विधानसभा सीट से विधायक बने अमरेश कुमार ने भी सदन में मुंह नहीं खोला है. चार बार के बीजेपी विधायक अशोक राणा के साथ 5 बार के विधायक बावन सिंह ने अभी तक चुप्पी नहीं तोड़ी है. दिलचस्प पहलू है कि पहली बार चुन कर आए 126 विधायकों में 113 अब तक बोल चुके हैं और मात्र 13 पहली बार चुने गए विधायक बोलने से बचे हैं. उन्होंने अभी तक कोई बात विधानसभा के पटल पर नहीं रखी है.
विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना कर रहे नया प्रयोग
13 के अलावा बाकी 26 पूर्व में भी विधायक रह चुके हैं और उन्होंने अभी तक सदन में एक भी बार नहीं बोला है. सदन को सुचारू और अच्छे तरीके से संचालित करने के लिए स्पीकर सतीश महाना अलग-अलग प्रयोग कर रहे हैं. इसी कड़ी में अब तक खामोश रहे विधायकों को मॉनसून सत्र में बोलने का अवसर मिलेगा. पिछले विधानसभा सत्र में स्पीकर ने महिला विधायकों के लिए एक दिन निर्धारित किया था. स्पीकर की पहल पर सभी दलों की महिला विधायकों ने खुशी जताई थी. उन्होंने सदन की कार्यवाही में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया और क्षेत्र की समस्याओं को भी जोरदार तरीके से उठाया था.